Any dream you want (intro)
[verse 1]
ख्वाब इतने है जैसे कोई भरा समंदर
डूब जाऊँ मैं अपने ख्वाबों कि महफ़िल के अंदर
फिर ना मुझको तुम जगाना जैसे मैं कोई बेबस लाश
अगर ना हो पूरे ख्वाब तो जिंदगी लगे राख
सोच कर मैं खोज कर कैसे भी आगे बढ़ जाऊँ
अपने टूटे रोते दिल को मैं मशीयत दे समझाऊँ
पर वो बाज ना आए पूछे सवाल खुदा से
"तू क्यों चुप बैठ सवालों कि तदबीर कहाँ पे?"
[verse 2]
बचपन में चलाई कश्ती कितने थे उड़ाये plane
बड़े होके doctor या हम कभी चलाए train
जितना ज्यादा सोचा उसका १ भी ना मिल पाया
बनने गए अंबानी घर पे नौकरी पकड़ लाया
समझ आया कि यही जिंदगी कि टूटी नौका
जिसको पूरा कर मकसत हमको जोड़ना होगा
लेकिन गिरना जरूर गिरके उठना जरूर
पर जो ख्वाब तुम देखो उसको पूरा करना जरूर