Gali gali mein shor
[verse 1]
महंगी हैं बातें पर सस्ती लिखाई
सुनने को मिलती देती ना दिखाई
जितनी बार जनता ने party जिताई
उतनी बार थाली में बासी मिठाई
कड़वी सी चाय पे कड़वी सी बातें
कपड़ो से जानो कौन दंगा कराते
ये अपनी प्रजा से पकौड़े तलवाते
जाती प्रथा में ये सबको बंटवाते
पत्रकारी में भी लगी बिमारी
रिश्वत जो लेकर बने भ्रस्टाचारी
कीचड़ के कमल से बांस है आ रही
क्योंकि आधे नेता बने बलात्कारी
जनहित में जारी किसान सुखी
फिर क्यों जिंदगी की फसल उसकी सूखी
राशन की रेल सब पे पहुँच चुकी
फिर क्यों वो अवाम है आज भी भूकी
[Chorus]
गली गली में शोर
आज के नेता चोर
बस भाषण बोल करते bore
खाखी पीछे भी झोल
[verse 2]
सड़कों पे लड़कों कि गंदी सी सोच
लड़की को ताड़ो सारे मिलके रोज
वास्तु वो बिस्तर कि उसकी बन जाए
तो जल्दी से उसको कोने-कोने खोज
जिनने गाय को माता का दर्जा दिलाया
उनने अपनी सगी माँ को आश्रम भगाया
बाप ने सारी जिंदगी कमाया
और बेटे ने लेटे-लेटे सारा खाया
एक ढोंगी है योगी जो करता ना योग
५६ inch सीना लगता ना रोग
उस अमीर को जो इक फ़कीर था
झूठे वादों से गरीब को चीरता
कितनी साँसों ने लगाई थी चीख
पर जीवन और मौत से ना पाया जीत
अब मदद तो दूर ये माफ़ी ना मांगते
झूठे नेता भूके से vote मांगते
[Chorus]
गली गली में शोर
आज के नेता चोर
बस भाषण बोल करते bore
खाखी पीछे भी झोल