Bharat Salaam
आसमान में कितने परिंदे
या मुसाफिर या हैं शहर के
ढूंढते हैं सब अपना मकाम
पर कोई परिंदा ऐसा
पत्थरों में हीरे जैसा
भर गया अलग ही वो उड़ान
उड़ा तेरी खातिर वो
रुका नहीं आखिर वो
चाहे जो भी हो उसका अंजाम
भारत सलाम
भारत सलाम
भारत सलाम
भारत तुझे सलाम
हो भारत तुझे सलाम
ओ हो हो
वो उड़ा अंधेरों में पर रुका नही
बह गया लहू उसका वो झुका नही
टूटा बस बदन उसका हौसला नही
मुसाफिर के तूफान में
बना जो किनारा वो
दे गया मोहब्बत का पैगाम
भारत सलाम
भारत सलाम
भारत सलाम
भारत तुझे सलाम
हो भारत तुझे सलाम
सरफ़रोश, ये रोष, ये जोश, ना होश
सरफ़रोश, ये रोष, ये जोश, ना होश
घना मौत का साया
जो तेरी तरफ आया
कर गया वो उसको अपने नाम
भारत सलाम
भारत सलाम
भारत सलाम
भारत तुझे सलाम
हो भारत तुझे सलाम