Oo Re Parindey
आवन झावन केह गयो
और दे गयो कॉल अनेक
गिनती गिनती घिस गयी
ओ
म्हारी आंगणिया री रेत
ढूढ़ता फिरू में
खोजता फिरूं मैं
शेरो शाम तेरा पता
कितनी गर्दिशें और हैं लिखी
जो दिखे तेरा नक़्शे पा
आज हवा
बेह निकली है, झूमके
आज घटा
फिर बरसी है, टूट के
तू भी हटा
अब ये कफ़स की बेड़ियाँ
पंख फैला
तेरा घर तो है आसमान
ओ रे परिंदे
तोड़ के फंदे, उड़ जा उड़ जा
छोड़ के डेरा ग़म का बसेरा
उड़ जा उड़ जा…
पेहले तो नहीं थी धुप ऐसी गुनगुनी
पेहले तो नहीं थी रात ऐसी चांदनी
पेहली बार दिल ने सुनी धुन ये अनसुनी
पहली बार छलकी ख़ुशी में
आँखें सावनी
ओ रे परिंदे
तोड़ के फंदे, उड़ जा उड़ जा
छोड़ के डेरा ग़म का बसेरा
उड़ जा उड़ जा…
आवन झावन केह गयो
और दे गयो कॉल अनेक
गिनती गिनती घिस गयी
म्हारी आंगणिया री रेत
नदियां हूँ मैं मुझको तो है
सागर की लगन
अपने पी की बाँहों में
सिमटने की लगन
कब तक मुश्किलों के
भंवर रोकेगी लगन
अब तो मंज़िलों पे ही दम
लेगी ये लगन…
ओ रे परिंदे
तोड़ के फंदे, उड़ जा उड़ जा
छोड़ के डेरा ग़म का बसेरा
उड़ जा उड़ जा
ओ रे परिंदे
तोड़ के फंदे, उड़ जा उड़ जा
छोड़ के डेरा ग़म का बसेरा
उड़ जा उड़ जा