Rahi Hai Daad [Lofi]
रही है दाद तलब उनकी शोखिया हमसे
रही है दाद तलब उनकी शोखिया हमसे
अदा शनास तो बहुत है मगर कहाँ हमसे
अदा शनास तो बहुत है मगर कहाँ हमसे
सुना दिए थे कभी कुच्छ ग़लत-सलत किससे
सुना दिए थे कभी कुच्छ ग़लत-सलत किससे
वो आज तक है उसी तरह बदगूमा हमसे
वो आज तक है उसी तरह बदगूमा हमसे
ये कुज क्यूँ ना ज़ियारत गाहे मुहब्बत हो
ये कुज क्यूँ ना ज़ियारत गाहे मुहब्बत हो
मिले थे वो इन्ही पेड़ो के दरमिया हमसे
मिले थे वो इन्ही पेड़ो के दरमिया हमसे
हम ही को ज़ॉक़्-ए-नज़ारा नही रहा वरना
हम ही को ज़ॉक़्-ए-नज़ारा नही रहा वरना
इशारे आज भी करती है खिड़किया हमसे
इशारे आज भी करती है खिड़किया हमसे
अदा शनास तो बहुत है मगर कहाँ हमसे