Pehli Dafaa
Mark K Robin
वो कोई खौफ था या कोई नाग था काला
मुझे टक्नो से आ पकड़ा था जिसने
में जब पहली दफा तुमसे मिली थी
कदम गढ़ने लगे थे मेरे जमीन में
तुम्ही ने हाथ पकड़ा और मुझे बाहर निकाला
मुझे कन्धा दिया सर टेकने को
दिलासा पा के तुमसे सांस मेरी लौट आयी
वो मेरे खौफ सारे जिनके लम्बे नाख़ून गले में चुबने लगे थे
तुम्ही ने काँट फेके सारे फन उनके
में खुल के सांस लेने लग गयी थी
हमाजी देखा न मुस्तक
दिल की सोची वो दो हफ्ते तुम्हारे साथ जीकर
अलग एक जिंदगी जी ली
वक्त में थी वक्त तुम थे
कुछ ऐसे रिश्ते भी होते हे जिनकी उम्र होती हे
न कोई नाम होता हे वो जीने के लिए
कुछ लम्हे होते हे