Kis Qadar Seedha Sehal Saaf Hai Rasta Dekho
GULZAR
किस क़दर सीधा सहल साफ़ है रस्ता देखो
किस क़दर सीधा सहल साफ़ है रस्ता देखो
न किसी शाख़ का साया है, न दीवार की टेक
न किसी आँख की आहट, न किसी चेहरे का शोर
दूर तक कोई नहीं, कोई नहीं, कोई नहीं
चन्द क़दमों के निशाँ, हाँ, कभी मिलते हैं कहीं
साथ चलते हैं जो कुछ दूर फ़क़त चन्द क़दम
और फिर टूट के गिरते हैं यह कहते हुए
अपनी तनहाई लिये आप चलो, तन्हा, अकेले
साथ आए जो यहाँ, कोई नहीं, कोई नहीं
किस क़दर सीधा, सहल साफ़ है यह रस्ता देखो