Bas Ek Jhadge Kaa Lamha Thha

GULZAR

बस एक झगडे का लम्हा था
दरों दिवार पर ऐसे छनाके से गिरी आवाज़
जैसे कांच गिरता है
हर एक शै में कहीं उड़ती हुई
चलती हुई तिरशे
नज़र में बात में लहजे में
सोच और सांस के अंदर
लहू होना था एक रिश्ते का
सो वो हो गया उस दिन
उसी आवाज़ के टुकड़े उठाके फर्श से
उस शब किसी ने काट ली नब्ज़े
न की आवाज़ तक कुछ भी
की कोई जाग ना जाए

Curiosidades sobre a música Bas Ek Jhadge Kaa Lamha Thha de Gulzar

De quem é a composição da música “Bas Ek Jhadge Kaa Lamha Thha” de Gulzar?
A música “Bas Ek Jhadge Kaa Lamha Thha” de Gulzar foi composta por GULZAR.

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