Kahani Mohabat Ki
उसे ढूंदूँ कहाँ, उसे पाऊँ कहाँ
कहानी मोहब्बत की है मुक्तसर
गया दिल से फिर वो ना आया इधर
कहानी मोहब्बत की है मुक्तसर
गया दिल से फिर वो ना आया इधर
कभी कोई था मेरी राहों का एक हमसफ़र (कभी कोई था मेरी राहों का एक हमसफ़र)
कर गया दिल का वो सूना नगर
कोई रस्ता ना कोई डगर
उसे ढूंदूँ कहाँ, उसे पाऊँ कहाँ
आज मैं हूँ यहाँ वो कहाँ
कहानी मोहब्बत की है मुक्तसर
गया दिल से फिर वो ना आया इधर
कभी कोई था मेरी राहों का एक हमसफ़र
उसे ढूंदूँ कहाँ, उसे पाऊँ कहाँ
आज मैं हूँ यहाँ वो कहाँ
नीले (नीले) आसमान पे बादल छा रहें हैं
पंछी अपने घर को वापस जा रहें हैं
उसे ढूंदूँ कहाँ, उसे पाऊँ कहाँ ( उसे ढूंदूँ कहाँ, उसे पाऊँ कहाँ)
आज मैं हूँ यहाँ वो कहाँ
कहानी मोहब्बत की है मुक्तसर
दूर परवतों पे फूल खिल रहें हैं
प्यार करने वाले साथ चल रहें हैं
उसे ढूंदूँ कहाँ, उसे पाऊँ कहाँ
आज मैं हूँ यहाँ वो कहाँ
कहानी मोहब्बत की है मुक्तसर
गया दिल से फिर वो ना आया इधर
कभी कोई था मेरी राहों का एक हमसफ़र
कर गया दिल का वो सूना नगर
कोई रास्ता ना कोई डगर
उसे ढूंदूँ कहाँ, उसे पाऊँ कहाँ
आज मैं हूँ यहाँ वो कहाँ
कहानी मोहब्बत की है मुक्तसर
गया दिल से फिर वो ना आया इधर
कभी कोई था मेरी राहों का एक हमसफ़र
उसे ढूंदूँ कहाँ, उसे पाऊँ कहाँ ( उसे ढूंदूँ कहाँ, उसे पाऊँ कहाँ )
आज मैं हूँ यहाँ वो कहाँ