Humsafar

FAISAL KAPADIA, BILAL MAQSOOD, STRINGS

फिर घटा छा गयी
और कहती रही वो मुझ से
जा के मिल उसको
दुश्मनी नहीं तुझ से
फिर था क्या सोचना
बस चल पड़ा
मैं चल पड़ा उन रास्तों पर
जो जाते थे तेरे घर
वो रास्ते तेरे और मेरे हमसफर
मैं चल पड़ा उन रास्तों पर
जो जाते थे तेरे घर
वो रास्ते तेरे और मेरे हमसफर

बूँदें मोती बन गये
और छूता रहा मैं उनको
बारीशों के शोर में
सुनता रह मैं तुम को
फिर था क्या सोचना
बस चल पड़ा
मैं चल पड़ा उन रास्तों पर
जो जाते थे तेरे घर
वो रास्ते तेरे और मेरे हमसफर

कुछ भी नहीं अपनी खबर ये जाना
अब तू ही तू आया नज़र ये माना
मेरे गीतो के बोल भी तुम ये जाना
मेरे रंगो के फूल भी तुम ये माना
तो चल पड़ा उन रास्तों पर
जो जाते थे तेरे घर
वो रास्ते तेरे और मेरे हमसफर
चल पड़ा उन रास्तों पर
जो जाते थे तेरे घर
वो रास्ते तेरे और मेरे हमसफर

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