Udd Jaa Kaale Kaava
Sumit Goswami
खुशियों की मंज़िल ढूँढी तो
ग़म की गर्द मिली
चाहत के नग़मे चाहे तो
आँहें सर्द मिली
दिल के बोझ को दूना कर गया जो ग़मखार मिला
हमने तो जब कलियाँ माँगी
काँटों का हार मिला
जाने वो कैसे लोग थे जिनके
प्यार को प्यार मिला
जाने वो कैसे लोग थे जिनके प्यार