Thehar
Sandeep Gaur
ठहर एक पहर
साँस ले ये ज़िंदगी
लहर खीचे लहर
हाथ दे ज़िंदगी
गुज़र जो गया
उसे बीत जाने दे
आए जो नींद तो
ख्वाब आने दे
ठहर एक पहर
साँस ले ज़िंदगी
मिले अब तो मिले
कोई थपकी सुकून की
खुले अब तो खुले
कोई खिड़की धुप की
अधूरा कुछ रहा
तो रह जाने दे
आये जो नींद तो
ख्वाब आने दे
ठहर एक पहर
साँस ले ज़िंदगी
ठहर एक पहर
साँस ले ज़िंदगी