Zehnaseeb
AMITABH BHATTACHARYA, VISHAL DADLANI, SHEKHAR HASMUKH RAVJIANI
जहनसीब जहनसीब
तुझे चाहूं बेताहाशा जहनसीब
मेरे क़रीब मेरे हबीब
तुझे चाहूं बेताहाशा जहनसीब
तेरे संग बीते हर लम्हे पे
हमको नाज़ है
तेरे संग जो न बीते
उसपे ऐतराज़ है
इस क़दर हम दोनों का मिलना
एक राज़ है
हुआ अमीर दिल ग़रीब
तुझे चाहूं बेताहाशा जहनसीब
जहनसीब जहनसीब
तुझे चाहूं बेताहाशा जहनसीब
लेना देना नहीं दुनिया से मेरा
बस तुझ से काम है
तेरी अँखियो के शहर में
यारा सब इंतज़ाम है
ख़ुशियों का एक टुकड़ा मिले
या मिले ग़म की खुरचने
यारा तेरे मेरे खर्चे में
दोनों का ही एक दाम है
होना लिखा था यूँही जो हुआ
या होते होते अभी अनजाने में हो गया
जो भी हुआ हुआ अजीब
तुझे चाहूं बेतहाशा जहनसीब
जहनसीब जहनसीब
तुझे चाहूं बेतहाशा जहनसीब
हुआ अमीर दिल ग़रीब
तुझे चाहूं बेताहाशा जहनसीब
जहनसीब जहनसीब
तुझे चाहूं बेताहाशा
तुझे चाहूं बेताहाशा जहनसीब