Sar Jhukha Kar Chala Munh Ki Khaa Kar Chala
K. J. Yesudas
सर झुका कर चला मुह की खा कर चला
हार की खीज से तिलमिलाया हुआ
हाथ मे टूटा दर्पण अहंकार का
अर्ध विक्षिप्त सा छटपटाया हुआ
आज रावण को भी इसका आभास है
राम के रूप मे काल आया हुआ
काल से कौन रक्षा करे जब स्वयं
काल को दे निमंत्रण बुलाया हुआ