Sakal Jatan Karke Bhayee Mandodri Hataash
K. J. Yesudas
सकल जतन करके भई मंदोदरी हताश
दंहि को दिखे नहीं कंठ काल को पाश
अति भयभीत अमंगल सो भई पति की करनी पर पछतावे
इष्ट को कोई अनइष्ट न होई सो मन ही मन निज इष्ट मनावे
मूढ़ भयो दस मूढ़न वारों ताही मूढ़ के जो समझावे
जान की रेवा ले आयो रे जानकी रावण को अब कौन बचावे