Prem Ke Panth Pe Rakhi Jo
Traditional
प्रेम के पंत पे रखी जो
पाओ सो प्रेम की रीत नीरली
मन भवन पैर सब कुछ वार के
हार तो जित का हर्ष मंनवे
प्रेम और भक्ति के संगम पे
प्र्रमात म से हो एकांत न आवे
प्रेम नदी इतनी गहरी जो दुबे नहीं तो पार न जावे
प्रेम नदी इतनी गहरी जो दुबे नहीं तो पार न जावे