Kahe Vilamb Karo Aavan Mein Sita Janak Dulari
Sugeetha Menon, Varun J Thilak
काहे विलंब करो आवन मे सीता जनक दुलारी
रघुवर व्याकुल, लक्ष्मण आकुल देखे राह तिहारी
जब तक था कर्तव्य प्रमुख तब तक तो पीड़ा मौन रही
विरह व्यथित अंतर रे, अंतर से अंतर की बात कही
अब तो प्रतीक्षा का एक एक पल पर्वत से भी भारी
काहे विलंब करो आवन मे