Baal Roop Dekhe Jo Kanhayi [2]
Sujatha Mohan
बाल रूप देखे जो कन्हाई
मूनिवर ने सूद बुध विसराई
हरीश अपार तीजे ना समाए
नैन मे आँसू भर आए
अंतर्गति जो भाई लखी स्वामी
सोजानत बस अंतरयामी
कैसे अभिनंदन करे मुनि कछु समज ना पावे
देख दसानीज भक्त की प्रभु मन मे मुस्काये
प्रभु मन मे मुस्काये