Saahil
साहिल साहिल झूमा
मंज़िल मंज़िल घूमा
कबका घर से था मैं चला
मौसम मौसम देखे
गुमसूँ गुमसूँ रहके
ढूँढे मॅन मेरा कुछ नया
ह्म हन हन यह हा
साहिल साहिल झूमा
मंज़िल मंज़िल घूमा
कबका घर से था मैं चला
मौसम मौसम देखे
गुमसूँ गुमसूँ रहके
ढूँढे मॅन मेरा कुछ नया
ये फितूर है या मर्ज़ियाँ
या मेरी आवारगी
पागलों सा उडद रहा परिंदा है
या फिर मान मौजी बंजारा
साहिल साहिल झूमा
मंज़िल मंज़िल घूमा
कबका घर से मैं था चला
मौसम मौसम देखे
गुमसूँ गुमसूँ रहके
ढूँढे मॅन मेरा कुछ नया
मंज़िल ही सफ़र है
या फिर चलना ही है मंज़िल
रुकना है कहीं पर
या फिर चलते रहना हासिल
मकसद की जो सोचूँ
तो फिर खो जाता हूँ अक्सर
कदमों को ना रोका
तो फिर पहॉंचा हूँ यहाँ पर आके
तोड़ा आयेज जाना है
या करना है ठिकाना
या फिरसे सफ़र हो इक नया
हर मोड्ड पर है आशियाना
कुछ पल रुका ये जो भी है
साहिल साहिल झूमा
मंज़िल मंज़िल घूमा
कबका घर से मैं था चला
मौसम मौसम देखे
गुमसूँ गुमसूँ रहके
ढूँढे मॅन मेरा कुछ नया
ये फितूर है या मर्ज़ियाँ
या मेरी आवारगी
पागलों सा उडद रहा परिंदा है
या फिर मान मौजी बंजारा
साहिल साहिल झूमा
साहिल साहिल झूमा
मंज़िल मंज़िल घूमा
मंज़िल मंज़िल घूमा
साहिल साहिल झूमा
साहिल साहिल झूमा
मंज़िल मंज़िल घूमा