Khushi Jab Bhi Teri
सारी गलियां तेरी जगमगा दूंगा मैं
हर सुबह तेरी ख़ुदको बना दूंगा मैं
सारी गलियां तेरी जगमगा दूंगा मैं
हर सुबह तेरी ख़ुदको बना दूंगा मैं
तू चलेगी जो घर से निकल के कहीं
तो रस्ते में ख़ुदको बिछा दूंगा मैं
ख़ुदा जाने मुझमें तू क्या देखती है
मैं तुझमें ख़ुदा का करम देखता हूं
ख़ुशी जब भी तेरी
ओ ख़ुशी जब भी तेरी मैं कम देखता हूं
ख़ुशी जब भी तेरी मैं कम देखता हूं
तो फ़िर मैं कहाँ अपने ग़म देखता हूं
ख़ुशी जब भी तेरी मैं कम देखता हूं
तो फ़िर मैं कहाँ अपने ग़म देखता हूं
कई रोज़ तक पानी पीता नहीं फ़िर
हां कई रोज़ तक पानी पीता नहीं फ़िर
मैं जब तेरी आँखों को नम देखता हूं
ख़ुशी जब भी तेरी
हो तू देखे न देखे हमें ग़म नहीं
मगर तुझको देखे बिना हम नहीं
तू देखे न देखे हमें ग़म नहीं
मगर तुझको देखे बिना हम नहीं
ख़यालों में हरपल ही रहता है तू
ये रहने को ज़िंदा हमे कम नहीं
तेरे साथ के एक लम्हें में भी मैं
तेरे साथ के सौ जनम देखता हूं
ख़ुशी जब भी
तुझको किया याद दुनिया भुलाई है
सीने में ऐसी लगन इक लगाई है
तेरी तन्हाई मेरी जान पे बन आयी है
मिलने की मांगू दुआ
मिलने की मांगू दुआ
नज़र भरके जब देखता हूं तुझे मैं
तो ज़ख्मों पे दिलके मरहम देखता हूं
ख़ुशी जब भी तेरी मैं कम देखता हूं
तो फ़िर मैं कहाँ अपने ग़म देखता हूं
ख़ुशी जब भी तेरी मैं कम देखता हूं
तो फ़िर मैं कहाँ अपने ग़म देखता हूं
ख़ुशी जब भी तेरी
ओ
ख़ुशी जब भी तेरी
ओ
ख़ुशी जब भी तेरी