Hum Tum [Slow]
PRASOON JOSHI, JATIN PANDIT, LALITRAJ PANDIT
बोलती रही आँखें मेरी
इनको जो पढता तू अगर
होता नहीं यूँ बेखबर
होता तू मेरा हमसफ़र
रुक जा जो एक बार कहता तू अगर
तन्हा गुजरता न अपना ये सफर
लम्हों की गुज़ारिश थी ये
यह पास आ जाए
हम हम तुम
तुम हम तुम