Raat Aankhon Mein Dhali
रात आँखों में ढली पलकों पे जुगनूँ आए
रात आँखों में ढली पलकों पे जुगनूँ आए
हम हवाओं की तरह जाके उसे छू आए
रात आँखों में ढली पलकों पे जुगनूँ आए
बस गई है मेरे अहसास में ये कैसी महक
बस गई है मेरे अहसास में ये कैसी महक
कोई ख़ुशबू मैं लगाऊँ तेरी ख़ुशबू आए
हम हवाओं की तरह जाके उसे छू आए
रात आँखों में ढली पलकों पे जुगनूँ आए
उसने छू कर मुझे पत्थर से फिर इंसान किया
उसने छू कर मुझे पत्थर से फिर इंसान किया
मुद्दतों बाद मेरी आँखों में आँसू आए
रात आँखों में ढली पलकों पे जुगनूँ आए
मैंने दिन रात ख़ुदा से ये दुआ माँगी थी
मैंने दिन रात ख़ुदा से ये दुआ माँगी थी
कोई आहट ना हो दर पर मेरे जब तू आए
कोई आहट ना हो दर पर मेरे जब तू आए
हम हवाओं की तरह जाके उसे छू आए
रात आँखों में ढली पलकों पे जुगनूँ आए