Hazaron Khwahishen Aisi

Ghalib Mirza (Traditional), Jagjit Singh

हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
निकलना खुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन
बहुत बे आबरू होकर तेरे कुउचे से हम निकले

मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले

खुदा के वास्ते परदा ना काबे से उठा ज़ालिम
खुदा के वास्ते परदा ना काबे से उठा ज़ालिम
कहीं ऐसा ना हो यान भी वही काफ़िर सनम निकले

कहाँ मैखाने का दरवाज़ा ग़ालिब और कहाँ वाइज़
कहाँ मैखाने का दरवाज़ा ग़ालिब और कहाँ वाइज़
पर इतना जानते हैं कल वो जाता था के हम निकले
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
ह्म्‍म्म्म ह्म्‍म्म्म ह ह ह ह ह्म्‍म्म्म ह्म्‍म्म्म ह्म्‍म्म्म ह्म्‍म्म्मह ह ह ह ह्म्‍म्म्म ह्म्‍म्म्म

Curiosidades sobre a música Hazaron Khwahishen Aisi de Jagjit Singh

Quando a música “Hazaron Khwahishen Aisi” foi lançada por Jagjit Singh?
A música Hazaron Khwahishen Aisi foi lançada em 2004, no álbum “Hazaron Khwahishen Aisi”.
De quem é a composição da música “Hazaron Khwahishen Aisi” de Jagjit Singh?
A música “Hazaron Khwahishen Aisi” de Jagjit Singh foi composta por Ghalib Mirza (Traditional), Jagjit Singh.

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