Gulshan Ki Faqat
गुलशन की फ़क़त फूलों से नहीं, काटों से भी ज़ीनत होती है
गुलशन की फ़क़त फूलों से नहीं, काटों से भी ज़ीनत होती है
जीने के लिए इस दुनिया में ग़म की भी ज़रूरत होती है
ऐ वाइज़-ऐ-नादाँ करता है तू एक क़यामत का चर्चा
ऐ वाइज़-ऐ-नादाँ करता है तू एक क़यामत का चर्चा
यहाँ रोज़ निगाहें मिलती हैं यहाँ रोज़ क़यामत होती है
यहाँ रोज़ निगाहें मिलती हैं यहाँ रोज़ क़यामत होती है
वो पुर्सिश-ऐ-ग़म को आये हैं कुछ कह न सकूँ चुप रह न सकूँ
वो पुर्सिश-ऐ-ग़म को आये हैं कुछ कह न सकूँ चुप रह न सकूँ
ख़ामोश रहूँ तो मुश्किल है कह दूँ तो शिकायत होती है
ख़ामोश रहूँ तो मुश्किल है कह दूँ तो शिकायत होती है
करना ही पड़ेगा ज़ब्त-ऐ-अलम पीने ही पड़ेंगे ये आँसू
करना ही पड़ेगा ज़ब्त-ऐ-अलम पीने ही पड़ेंगे ये आँसू
फ़रियाद-ओ-फ़ुग़ाँ से ऐ नादाँ तौहीन-ऐ-मोहब्बत होती है
फ़रियाद-ओ-फ़ुग़ाँ से ऐ नादाँ तौहीन-ऐ-मोहब्बत होती है
जो आके रुके दामन पे 'सबा' वो अश्क नहीं है पानी है
जो आके रुके दामन पे 'सबा' वो अश्क नहीं है पानी है
जो अश्क न छलके आँखों से उस अश्क की क़ीमत होती है
गुलशन की फ़क़त फूलों से नहीं, काटों से भी ज़ीनत होती है
जीने के लिए इस दुनिया में ग़म की भी ज़रूरत होती है