Tere Jahan Ka
तेरे जहा को पड़ा
दिलजलो से कम नही
जला के खाक ना कर डू
तो इश्क़ नाम नही
तेरे जहा को पड़ा
दिलजलो से कम नही
जला के खाक ना कर डू
तो इश्क़ नाम नही
तेरे जहा को
कैसा ये क़ानून को दिल के
खून से लिखा जाए
जालिम है दस्तूर
तेरी दुनिया का हाए हाए
कैसा ये क़ानून को दिल के
खून से लिखा जाए
निकली हू मैं आज सुलगी
चिंगारी बनके
कहदे कोई आज ना
मुझसे दामन को उलझाए
हो आग हू मई जिसका
कोई पायँ नही
जला के खाक ना कर डू
तो इश्क़ नाम नही
तेरे जहा को
उलफत का ना कम
तेरी दुनिया में
ठोकर खाए
जलता है गुम से
दिले दीवाना हाए हाए
उलफत का ना कम
तेरी दुनिया में
ठोकर खाए
चमके दिल के दाग
धड़कती है बहो की आग
तेरी दुनिया आज मेरे
साए से बचके जाए
तू गुम का शोका मैं
कोई चीरगे शाम नही
जला के खाक ना कर डू
तो इश्क़ नाम नही
तेरे जहा को पड़ा
दिलजलो से कम नही
जला के खाक ना कर डू