Musafir Raah Kar Paida

Rahil Gorakhpuri

मुसाफिर रहकर पैदा
खुदा मंज़िल बनाएगा
चिरागो को सिकासने दे
सवेरा मुस्कुराएगा
ओ मुसाफिर ओ
ना शिकवा कर ज़माना अगर
तुझे ठोकर लगता है
संभालने के लिए इंसान
यहा ठोकर भी ख़ाता है
ज़रा दो ठोकरे खा ले
संभालना आ ही जाएगा
मुसाफिर रहकर पैदा
खुदा मंज़िल बनाएगा
ओ मुसाफिर ओ

अकेला क्यू भतकता है
बना ले करवा कोई
बढ़ता जा कदम आयेज
बनता जा निसा कोई
समाज कर रहनुमा
तुझको ज़माना साथ आएगा
मुसाफिर रहकर पैदा
खुदा मंज़िल बनाएगा
ओ मुसाफिर ओ

सवेरा मुस्कुराएगा
नया पैगाम लाएगा
तेरे गम को मिटाएगा
अंधेरा बात खाएगा
मुक़दार जगमगाएगा
जगमगाएगा जगमगाएगा

Curiosidades sobre a música Musafir Raah Kar Paida de Asha Bhosle

De quem é a composição da música “Musafir Raah Kar Paida” de Asha Bhosle?
A música “Musafir Raah Kar Paida” de Asha Bhosle foi composta por Rahil Gorakhpuri.

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