Jaise Champa Ki Chameli
सुनो सुनाये आज तुम्हे एक छोटी सी कहानी
एक बाप की दो दो बेटी एक साँवरी एक गोरी
जैसे चंपा चमेली हो कभी न रहे अकेली हो
हो जी हो जी हो जी हो जी हो
एक हमारा बाबू लम्बा कोट ड़ाल के डोले
कोट ड़ाल के डोले कोट के बटन कभी न खोले
कोट को पहन रात भर सोले
ऊपर से वो कड़वा बोले
कहा है मुनिया कहा है चुनिया
भीतर मिश्री घोलें मुनिया चुनिया
तुम हो मेरी दुनिया
दौलत वाला हिम्मत वाला
मुछो वाला लाला जिसकी उँची हवेली हो
जहा हम कभी ऐसे खेली हो
हो जी हो जी हो जी हो जी हो
एक बात थी जो पहलवान जो बना मुनीम हमारा
बना मुनीम हमारा पहन के ऐनक प्यारा प्यारा
फिरा करता है मारा मारा
घर वालो ने फ़िक्र न की
हाय हाय हाय
जिसको कोन जग मे ब्याह्य
जो अब तक फिरे कुवारा
कहे हाय हाय हाय
दुःख सहा नहीं जाये
भेद न खोले चुप चुप डोले होले होले बोले
जैसे गंगवा तेली हो के जिसकी अक्कल मरेली हो
हो जी हो जी हो जी हो जी हो
एक हमारी बहिन है जिसके दिल की हो गयी चोरी
दिल की हो गयी चोरी
गले में पड़ी प्रीत की डोरी फिरे अब उलझी उलझी गोरी
बापू मन ही मन में सोचे
धत तेरे की धत तेरे की
गयी हाथ से छोरि
चुपके चुपके मिले छुप छुप के
इस का सैया बड़ा है कैय्या पड़े है इस के पेय्या
जब भी देखे अकेली हो के दिल में उठे पहेली हो
हो जी हो जी हो जी हो जी हो
सुनो सुनाये आज तुम्हे एक छोटी सी कहानी
एक बाप की दो दो बेटी एक साँवरी एक गोरी
जैसे चंपा चमेली हो कभी न रहे अकेली हो
हो जी हो जी हो जी हो जी हो