Ijaazat Ho
इजाजत हो तो पूछे आप ही से
के हम मिलकर भी है क्यूँ अजनबी से
मिले हम तुम इसे वृही ना समझो
कोई मिलता नहीं युही किसी से
हजारो शौख कुरबान उस पर
जो तुमने कह दिया है सादगी से
अजब सा लग रहा है तुमसे कह कर
ये बाते हम ना कहते थे किसी से
मेरी मंजिल की राहे जग मगा दो
मोहब्बत की सुन्हेरी रोशनी से
सफ़र की इन्तहा होने ना पाये
सदा का साथ लेले जिन्दगी से