Ek Hans Ka Joda [From Lajwanti]
हो हो कुच्छ दिन पहले एक ताल मे
कमल कुंज के अंदर
रहता था एक हंस का जोड़ा
एक हंस का जोड़ा
कुच्छ दिन पहले एक ताल मे
कमल कुंज के अंदर
रहता था एक हंस का जोड़ा
एक हंस का जोड़ा
एक हंस का जोड़ा एक हंस का जोड़ा
रोज़ रोज़ रोज़ भोर होते ही
जब खिल जाते कमल
दूर दूर दूर मोती चुगने को
हंस घर से जाता निकल
रोज़ रोज़ रोज़ भोर होते ही
जब खिल जाते कमल
दूर दूर दूर मोती चुगने को
हंस घर से जाता निकल
संध्या होती हे संध्या होती
घर को आता झूम झूम के
कुच्छ दिन पहले एक ताल मे
कमल कुंज के अंदर
रहता था एक हंस का जोड़ा
एक हंस का जोड़ा
एक हंस का जोड़ा
एक हंस का जोड़ा
जब जब जब छिप जाता था दिन
तारे जाते थे खिल
सो जाते हिल मिल के वो
दोनो जैसे लहरो के दिल
जब जब जब छिप जाता था दिन
तारे जाते थे खिल
सो जाते हिल मिल के
वो दोनो जैसे लहरो के दिल
चंदा हसता हा आ चंदा हसता
दोनो का मुख चूम चूम के
कुच्छ दिन पहले एक ताल मे
कमल कुंज के अंदर
कौन था
एक हंस का जोड़ा
एक हंस का जोड़ा
एक हंस का जोड़ा
एक हंस का जोड़ा
थी उनकी एक नन्ही सी
बेटी छोटी सी हँसनि
दोनो के नैनों की
वो ज्योति घर की रौशनी
थी उनकी एक नन्ही सी
बेटी छोटी सी हँसनि
दोनो के नैनों की
वो ज्योति घर की रौशनी
ममता गाती
ममता गाती और
मुस्काती झूम झूम के
कुच्छ दिन पहले एक ताल मे
कमल कुंज के अंदर
रहता था, आ आ आ