Bhagwan Bhagat Binaa Tu
भगवान भगत बिना तू पत्थर है बेजान
तू तो गूंगा बहरा है और निर्दयी है इंसान भगवान
ओ भगवान ओ भगवान
ओ भगवान ओ भगवान
कैसी है तेरी शान
ओ भगवान ओ भगवान
कैसी है तेरी शान ओ भगवान
हाथ का कंगन हार गले का मुझसे छिना जाये
बोल रे ओ न्याय की मूरत कैसा ये अन्याय
मांग रही हू जनम जनम के
मांग रही हू जनम जनम के
पूजा का वरदान
ओ भगवान ओ भगवान
कैसी है तेरी शान ओ भगवान
घर के दिए से घर को जलाये जग की उलटि तार
फूल समझ कर जिसको पाले बाकरे संभाल
हरी भरी फुलवारी मन की हरी भरी फुलवारी मन की
क्यों कर दी सुनसान
ओ भगवान ओ भगवान
कैसी है तेरी शान ओ भगवान
बंद हुयी जीवन की राहे उझड़ गया संसार
अपने मन पर बस नहीं चलता तुझ पर क्या अधिकार
तू भी आज पराया बनकर
तू भी आज पराया बनकर
हँसता है भगवान
ओ भगवान ओ भगवान
कैसी है तेरी शान
ओ भगवान भगवान भगवान