Barf Si

Amit Khan

बर्फ़ सी तू पिघल जा
सर्दी की सर्द रातों में
बर्फ़ सी तू पिघल जा
सर्दी की सर्द रातों में
मैं तुझमें जी रहा हूँ
बस तू है मेरे इरादों में
बर्फ़ सी तू पिघल जा
सर्दी की सर्द रातों में
मैं तुझमें जी रहा हूँ
बस तू है मेरे इरादों में
हाँ कर रही है तेरी मोहब्बत
ज़िन्दगी में मेरी शिरकत
इश्क में अपने भिगा दे
ख्वाहिशों की कर दे बरकत
हाँ कर रही तेरी मोहब्बत
ज़िन्दगी में मेरी शिरकत
इश्क में अपने भिगा दे
ख्वाहिशों की कर दे बरकत

बेपनाह तेरे इश्क में
गया हूँ मैं जान से
रिवाजों से दूर हो के
हो गया तेरा मैं ईमान से
तू गुनगुनी रात है
तू गुनगुनी है सुबह
बंदिशों से मेरी मुझे
आ कर दे रिहा
तू मुझे दे भी दे
जीने की वजह
बर्फ़ सी तू

तू जो आई इत्र हवाओं में, बिखर गया
ज़र्रा-ज़र्रा रूह का मेरी, निखर गया
तू लाज़मी हर पल में है
सुन ले मेरी इल्तजा
हर भरम अब हो गया
तेरा मेरा फ़लसफ़ा
तू मुझे दे भी दे (तू मुझे दे भी दे )

Curiosidades sobre a música Barf Si de Armaan Malik

De quem é a composição da música “Barf Si” de Armaan Malik?
A música “Barf Si” de Armaan Malik foi composta por Amit Khan.

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