Yeh Gaagh Daagh Ujala [Aagaman]
FAIZ AHMED FAIZ, GHULAM MUSTAFA KHAN
तू ही गरा लिए शब में कमी नहीं आयी
निजात दे दिल की घड़ी नहीं आयी
चले चलो के वो मंजिल अभी नहीं आयी
वो इन्तजार था जिसका ये वो शहर तो नहीं
ये दाहा दा उजाला ये शब गजी तो शहर