Khidki
पर्दों के पीछे से
झांके खिड़की
खुलने को बोलो तोह
कुंडियां खिचे खिड़की
हवा करे है ख़ट ख़ट कब से
खुलने को बोलो तोह
कुंडियां खिचे खिड़की
अब खुल जा रे खुल जा रे खुल भी जा न खिड़की
ओ रे खिड़की
अब खुल जा रे खुल जा रे खुल भी जा न खिड़की
ओ रे खिड़की
दीवार के पार भी दुनिया है रे खिड़की
ओ रे खिड़की
ओ अब खुल जा रे खुल जा रे खुल भी जा न खिड़की
ओ रे खिड़की
छुपी छुपी सी क्यूँ है जग से
चुप चुप चाप सी बैठी है कब से
बोल दे कुछ तोह कसम है ये किसकी
धुप गिरी है धीमी आंच पे
ओस गिरी है तेरे कांच पे
ऊँगली से कुछ कुछ है ये कहती
देखो एक तरफ है सुबह हो चली
पर अंदर अभी भी रातें न ढली
अब धुल छटक के भूल जा न बिसरि
रुख मोड़ दे अब तोह खोल दे ज़िन्दगी
अब खुल जा रे खुल जा रे खुल भी जा न खिड़की
ओ रे खिड़की
अब खुल जा रे खुल जा रे खुल भी जा न खिड़की
ओ रे खिड़की
दीवार के पार भी दुनिया है रे खिड़की
ओ रे खिड़की
अब खुल जा रे खुल जा रे खुल भी जा न खिड़की
ओ रे खिड़की
छुपी छुपी सी क्यूँ है जग से
चुप चुप चाप सी बैठी है कब से
बोल दे कुछ तोह कसम है ये किसकी
धुप गिरी है धीमी आंच पे
ओस गिरी है तेरे कांच पे
ऊँगली से कुछ कुछ है ये कहती