Noor
Qasim Azhar, Uzma Iftikhar
तू नूर है मेरे दिल का
जो पास तू
मेरा जहाँ मेरे पास है
समझे ना तू..
नजदीकियां कुछ खास है
अब दरमियाँ जानने ना क्यूँ
मैं हूँ तुम बिन अधूरा
कैसे मैं या जेओ
दे कर मुझे ना आज़मा
नाराज़ियाँ खामोशियाँ छोड़ दे
तू नूर हैं मेरे दिल का
तू नूर हैं मेरे दिल का
राही हूँ मैं मंज़िल है तू
कश्ती हूँ मैं साहिल है तू
देखूं जिधर आए नज़र
मंज़र मैं हर हेल है तू
बे-असर हुई हर दुआ
फिर तू ना मेरा हुआ
दे कर मुझे ना आज़मा
नाराज़ियाँ खामोशियाँ छोड़ दे
तू नूर हैं मेरे दिल का
तू नूर हैं मेरे दिल का
तू नूर हैं मेरे दिल का
तू नूर हैं मेरे दिल का