Kabhi Mai Kabhi Tum
इश्क़-ए-ख़ाता केरते रहे
कभी में कभी तुम
यूँ ही कटने फ़ासले थम गये
कभे में कभे तुम
और देखते देखते रह गये
होते गये क्यूँ लापता
कभी में कभी तुम
हम ठहरे पर क़दम चल परे
कभी में कभी तुम
जाने कितने फ़ासले तुम गये
चलते रहे चुप कर
के पानी में
पर कुछ थे नए
रिवायत कहानी में
कभी में कभी तुम
लफ़्ज़ों से ना कभे कह सके
कभी में कभी तुम
जाने कैसे आरज़ो बन गए
तेरे बिना मेने सुध
बुध खोएआ
तेरे बिना मेने चैन गवाया
तेरे बिना सब लगे परेआ
तेरे बिना मेने सुध
बुध खोएआ
तेरे बिना मेने चैन गवाया
तेरे बिना सब लगे परेआ
तन्हा हों में, तन्हा है तू
मेरे आना तेरा गरूर
सवाल कर, जवाब दू
कह तेरे बिना क्या है सकूँ
चलते रहे चुप कर
के पानी में
पर कुछ थे नए
रिवायत कहानी में
कभी में कभी तुम
जाने कैसे रह गुज़र बुन गये
कभी में कभी तुम
बस देखते देखते रह गये