Shayari
अब वो किसी और की है
अब उसको जान बुलाती है
हमारे साथ गुजारा हुआ वक़्त
सबको नुक्सान बुलाती है
गम सिर्फ एक बात का है
की वो नुक्सान उसने बहुत आसानी से भूला दिया
हमने तो इश्क़ से भरोसा ही उठा दिया
हमने तो इश्क़ से भरोसा ही उठा दिया
उसने इतना मुझे रुला दिया
वो जिसे कहते हैं ना जहनुम
ज़मीन पे ही दिखा दिया
हमने भी इश्क़ से भरोसा ही उठा दिया
करीब आया वो यूँ मुझे मुझसे ही चुरा लिया
और जब खो चुकी थी मैं खुदको
उसने हाथ छुड़ा लिया
हमने भी इश्क़ से भरोसा उठा दिया
हमने भी इश्क़ से भरोसा उठा दिया
बातों बातों में ले जाती थी मुझे चाँद पर
बातों बातों में ले जाती थी मुझे चाँद पर
फिर
फिर क्या मुझे चाँद से ही गिरा दिया
हमने तो इश्क़ से भरोसा ही उठा दिया
हमने तो इश्क़ से भरोसा ही उठा दिया
भरोसा ही उठा दिया