Urdu Ke Jaisa Ishq [Kashmir]

Manan Bhardwaj

ठंडी सी रातें, पेड़ों की ख़ुशबू
जुगनूँ भी करते हैं बातें वहाँ
ठंडी सी रातें, पेड़ों की ख़ुशबू
जुगनूँ भी करते हैं बातें वहाँ

कहते हैं, जन्नत की बस्ती है वहाँ पे
सारे फ़रिश्ते रहते हैं जहाँ
बादल भी रहते हैं ऐसे वहाँ पे
सच में वो नीले हों जैसे

उर्दू के जैसा ये इश्क़ मेरा
ना-समझ, तू समझगी कैसे?
लिखता मैं रहता हूँ दिन-रात तुझको
पागल, तू समझगी कैसे?
कितना है शोर यहाँ इस शहर में
इश्क़ मेरा समझेगी कैसे?

कश्मीर जैसी जगह ले चलो ना
बर्फ़ो पे सिखाऊँगा प्यार तुझे
झीलों पे ऐसे उड़ेंगे साथ दोनों
इश्क़ पढ़ाऊँगा, यार, तुझे

Curiosidades sobre a música Urdu Ke Jaisa Ishq [Kashmir] de मनन भारद्वाज

De quem é a composição da música “Urdu Ke Jaisa Ishq [Kashmir]” de मनन भारद्वाज?
A música “Urdu Ke Jaisa Ishq [Kashmir]” de मनन भारद्वाज foi composta por Manan Bhardwaj.

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