Kaise Kaise Log
कैसे कैसे लोग हमारे जी को जलाने आ जाते हैं
कैसे कैसे लोग हमारे जी को जलाने आ जाते हैं
अपने अपने ग़म के फ़साने हमें सुनाने आ जाते हैं
कैसे कैसे लोग
मेरे लिये ये ग़ैर हैं और मैं इनके लिये बेगाना हूँ
फिर भी ये एक रस्म-ए-जहाँ है जिसे निभाने आ जाते हैं
अपने अपने ग़म के फ़साने हमें सुनाने आ जाते हैं
कैसे कैसे लोग
इनसे अलग मैं रह नहीं सकता इस बेदर्द ज़माने में
मेरी ये मजबुरी मुझको याद दिलाने आ जाते हैं
कैसे कैसे लोग
सबकी सुन कर चुप रहते हैं दिल की बात नहीं कहते
आते आते जीने के भी लाख बहाने आ जाते हैं
अपने अपने ग़म के फ़साने हमें सुनाने आ जाते हैं
कैसे कैसे लोग