Phirse Wohi

Hansraj Raghuwanshi, Dinesh Samvat

ये ये ये यो
नारे ना ना ना
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ

सन्नाटा ही सन्नाटा है
गलियों में है तन्हाई
सन्नाटा ही सन्नाटा है
गलियों में है तन्हाई
शहर को छोड़ -छाड के आज
गाँव की याद है आई
शहरो को छोड़ -छाड कर आज
गाँव की याद है आई
फिरसे वही महका सा आँगन हो
जब चाहे उड़ जाए जब चाहे मुड़ जाए
जब चाहे उड़ जाए जब चाहे मुड़ जाए अपने देश को

कुदरत को लूटा
मानस को लूटा
सफ़ेद चोला ओढ़े
माल जमके लंगोटा
मास-मच्छी जो मिला सब खा गए
मानव के भेष में बाबा देखो दानव आ गए
नाम भगवन का पैसा अंदर किया
भ्रस्ट हर एक दर, हर एक मंदिर किया
अब सजा पापो की जब है मिलने लगी (ते ना रा)
दुनिया थर-थर डर से है हिलने लगी (ते ना रा)
होगी न हमसे भूल, सिख मिल गयी है बाबा (ते ना रा)
होगी न हमसे भूल, सिख मिल गयी है अब
हम बच्चे है तेरे भोले, अब तो माफ़ करदो (ह्म ह्म)
अब तो माफ़ करदो

आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
मैं फसा प्रदेश मैं
मेरी अम्मा -बिटिया रोये
मैं फसा प्रदेश मैं
मेरी अम्मा -बिटिया रोये
ऐसा भी क्या गुनाह किया रे
मानुस पिंजरे में रोये
भोले ऐसा भी क्या गुनाह किया रे
मानुस पिंजरे में रोये
थक गए सोये सोये निंदिया होये
थक गए सोये सोये निंदिया होये
फिरसे वही महका सा आँगन हो
जब चाहे उड़ जाए जब चाहे मुड़ जाए
जब चाहे उड़ जाए जब चाहे मुड़ जाए
अपने देश को
फिरसे वही महका सा आँगन हो
फिरसे वही महका सा आँगन हो

Curiosidades sobre a música Phirse Wohi de हंसराज रघुवंशी

De quem é a composição da música “Phirse Wohi” de हंसराज रघुवंशी?
A música “Phirse Wohi” de हंसराज रघुवंशी foi composta por Hansraj Raghuwanshi, Dinesh Samvat.

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