Dil Ke Sukoon
रात कटे न दिन गुज़रे न
बेचैनी है सीने में
भोर अधूरी सांझ अधूरी
ख़ाक मज़ा है जीने में
दिल के सुकून के लिए
तेरी नज़र चाहिए
आवारगी को मेरी
एक हमसफ़र चाहिए
बेताब दिल के बेताबियों को
अब है किसी का इंतज़ार
शायद यही सच
है मेरे दिल का
इसे चाहिए थोड़ा प्यार
कोई आ के पास बैठे
हाथ मेरा थाम के
मेरे तनहा इस सफ़र को
कोई अपना नाम दे
आ जाए इस दिल को करार
दीवानेपन को मेरे तेरा असर चाहिए
आवारगी को मेरी
एक हमसफ़र चाहिए
अधूरी पड़ी है मेरी करवटें जो
करदे मुक़म्मल हैं
तुझसे शुरू हम तुझपे ख़तम हैं
किसी और को क्या अब चुने
प्यार करले आज तू भी मुझसे कुछ यूँ टूट के
यूँ गीला न मुझको करदे मुझको मुझसे लूट कर
ये फ़ासले दे मिटा
तुझसे ही दिन हो शुरू
तू ही रात भर चाहिए
आवारगी को मेरी
एक हमसफ़र चाहिए