Gulabi [Melodic Lofi]

Raj Shekhar, Vishal Mishra

देखो ना कैसे से दिन आ रहे हैं
कैसे यूँ ही हम हँसे जा रहे हैं
हस्ते हुए सबसे टकरा रहे हैं
टकरा के लोगों से घबरा रहे हैं
देखो ना कैसे से दिन आ रहे हैं
कैसे यूँ ही हम हँसे जा रहे हैं
हस्ते हुए सबसे टकरा रहे हैं
टकरा के लोगों से घबरा रहे हैं
हमको पता है ये सब ख्वाब सा हैं
मोहब्बत में सच ये जिए जा रहे हैं
गुलाबी गुलाबी हुए जा रहे हैं
गुलाबी गुलाबी हुए जा रहे हैं
गुलाबी गुलाबी हुए जा रहे हैं
गुलाबी गुलाबी हुए जा रहे हैं

पहाड़ों के ऊपर एक छोटा सा घर हो
कोई पेन्टिंग सी हंसी दोपहर हो
हवाओं में थोड़ी खुनक है गुलाबी
मिलने की है जो तड़प है गुलाबी
गुलाबी पहाड़ों पे वैसे ही बादल
ज़मीन तो ज़मीन है फलक भी गुलाबी
हमको पता है ये सब ख्वाब सा हैं
फिर भी मोहब्बत किये जा रहे हैं
गुलाबी गुलाबी हुए जा रहे हैं
गुलाबी गुलाबी हुए जा रहे हैं
गुलाबी गुलाबी हुए जा रहे हैं
गुलाबी गुलाबी हुए जा रहे हैं हम्म

Curiosidades sobre a música Gulabi [Melodic Lofi] de Vishal Mishra

De quem é a composição da música “Gulabi [Melodic Lofi]” de Vishal Mishra?
A música “Gulabi [Melodic Lofi]” de Vishal Mishra foi composta por Raj Shekhar, Vishal Mishra.

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