Zindagi Ko Nayi Zindagi
ज़िंदगी को नयी ज़िंदगी मिल गयी
एक शमा थी जिसे आरज़ू थी उसे
चाँदनी भी मिल गयी
ज़िंदगी को नयी ज़िंदगी मिल गयी
चाहा था साथी सनम
तुम जैसा तुम्हारी कसम
फ़िज़ा छटते छटते बहार आ गयी
मुझे मेरी मंज़िल नज़र आ गयी
दिल के तारों को जो छेड़ दे प्यार से
रागिनी वो मिल गयी
ज़िंदगी को नयी ज़िंदगी मिल गयी
ख्वाब में जिसको मैं सोचती थी कभी
आशिक़ी वो मिल गयी
ज़िंदगी को नयी ज़िंदगी मिल गयी
सासों में तूफान है
तू फिर भी अंजान है
जो ख्वाइश है उनसे भी ज़्यादा करे
जहाँ को भूलने का वादा करे
हम ने सोचा जहा आशियाँ हो वहाँ
एक नदी भी मिल गयी
पाके तुम को मुझे
हर खुशी मिल गयी
रात तारों भारी और मुझे शाम भी
सूरमाई सी मिल गयी