Bajao Zor Se Taali
दिल वाले बोज़ उदाओ
मद्धम सी हँसी गिराव
बूथ क्यों बने पड़े हो
रींध सा माहेक जाओ
काठ में गाड़ दो किल्लई
माचिस पर घिस दो तिल्ली
यूँ तो फीकी थी हवा
मैने कैफ़ी कर डाली
पॉंच घफलत की लाली
बजाओ ज़ोर से ताली
घाम को दे देना गाली
बजाओ ज़ोर से ताली
ताली के बाद ताली
बजाओ ज़ोर से ताली
है सात मकान सरगम के
इनमे रहते सूफ़ी हैं
मेरे यार है दिलदार हैं
रूह की तफ़री ज़म ज़म की गार है
हर धुन को इशक़े
वाली फ़ासले बाटी हैं
होठों से सहला सहला
नज़िनी की बालिया काटी है
हन बुला के हरफ़ो
पर मरने वाली बावली मतवाली
बजाओ ज़ोर से ताली
हन शहद की शहर वाली
बजाओ ज़ोर से ताली
ताली के बाद ताली
बजाओ ज़ोर से ताली
सोच खुद का हुनर
दिल से निकलती यह दाद है
सोच खुद का हुनर
दिल से निकलती यह दाद है
यह क़ावल्ली वाली बात है
पुरानी दिल्ली की बारात है
गीला नही जो मिला नही
काबा तारीफ का दिखा नही
गीला नही जो मिला नही
काबा तारीफ का दिखा नही
बुल बुल था माझी
मेरा काला माझी
नहीं बन पाया
मैं फिर से हाजी
बुला लो खुदा बुला लो क़ाज़ी
निकाह के लिए खुदाई
को कर लूँगा मैं राज़ी
मैं महफ़िल का मवाली
बजाओ ज़ोर से ताली
पौंच्छ घफलत की लाली
बजाओ ज़ोर से ताली
हन ताली के बाद ताली
बजाओ ज़ोर से ताली