Tum Jaano Na
सभी आँखें मुझपे ना मैं ट्यूपॅक
पहलू पहला कल था, कल के दो भाग
बेअकल था हाल नकल ना की पर
सुनके अभी ये तभी कहे मुझे क्या बात
काफ़ी नीचे से देखा है फलक को
सुन समझ तू पंक्ति में मेरी ललक को
कोई भी नही यहा क़ाबिल-ए-तवज्जो
शुक्रिया बसनेरए अश्को के सबब को
बेअदब क्यूँ चले मेरी ज़ुबान ये
जागा मैं कितनी रातों को पूछ सुबा से
हर गम मे सरगम ही डॉवा ये
नैन तो बच्चे नज़र पर जवान ये
कारवाँ ये मेरा संगीत का
चलेगा तबतक जबतक है जीत ना
मा कलाम और माशूक़ ये टीन बस
किसी और से रखी है प्रीत ना
(हुक)
शायर के काग़ज़ कलाम का गम से रिस्ता है क्या
तुम जानो ना
लड़ते सिपाही के मान का मौत से रिश्ता क्या
तुम जानो ना
हर धुन से इन शब्दो का रिश्ता है क्या
तुम जानो ना
हारकर ना बैठा मैं, जीत से रिश्ता क्या
तुम जानो ना
सरक्ति आँहें सिला सिला ये बना दे
सरपट चलе बातें, शरबत सा बहा दे पर
छलके मैं तेज़ फरेब करूगा नही
धीरे से ही छलके तराने ये बातेने
साँसें तूफान ये दिल तबाही है
प्यार पानी ये मान सुराही है
दिल हसता ये दिल ही रोता है
दिल सड़क और दिल ही राही है
शक्ल काली ये सोना अककाल
रब परस्पर ये सच मयस्सर
दुख ये हासकर मैं पीटा शरबत सा
मंज़िलों से हूँ काफ़ी कुरबत
बस लिखना बेबस सी लत है
जड़ शब्द, धुन फल, हूँ रस मैं
तुम काश पे बस ख़ौ कशमें
अंगुल सी गुण हुँले गाज मे
गहरा रिश्ता है नींद से मेरा
सपनो मे हन ये जीटा मान मेरा
टीम टिमाते हो दिन मे तुम और मैं
शाम को ही कार्दु सवेरा
(हुक)
शायर के काग़ज़ कलाम का गम से रिस्ता है क्या
तुम जानो ना
लड़ते सिपाही के मान का मौत से रिश्ता क्या
तुम जानो ना
हर धुन से इन शब्दो का रिश्ता है क्या
तुम जानो ना
हारकर ना बैठा मैं, जीत से रिश्ता क्या
तुम जानो ना
शायर के काग़ज़ कलाम का गम से रिस्ता है क्या
तुम जानो ना
लड़ते सिपाही के मान का मौत से रिश्ता क्या
तुम जानो ना
हर धुन से इन शब्दो का रिश्ता है क्या
तुम जानो ना
हारकर ना बैठा मैं, जीत से रिश्ता क्या
तुम जानो ना