Kulfi

SALIM-SULAIMAN SADRUDDIN, SAUMYA JOSHI

लगता है के
पिघल गयी मगर
नहीं, नहीं, नहीं
वो थी जहाँ
अब है वहीं
कुल्फ़ी,कुल्फ़ी
हाँ
मीठी-मीठी माज़ी की कुल्फ़ी
लगता है के
पिघल गयी मगर
नहीं, नहीं, नहीं

आ आ आ आ आ आ

हज़ार तंज़ कस गई
हज़ार गाँठ बंध चुकी
खुलेगी ना गठरी कभी
ये सोचा था,पर खुल गई
पिघलेगी नहीं वो कभी
कुल्फी कुल्फी
हाँ
मीठी मीठी माज़ी की कुल्फ़ी
लगता है के
पिघल गयी मगर
नहीं, नहीं, नहीं

जो चल रहा था थम गया
जो थम गया था चल पड़ा
उसी पुरानी राह पे
फिर से मैं निकल पड़ा
पुराने सिक्कों से ख़रीद ली
कुल्फ़ी कुल्फ़ी
हाँ, मीठी मीठी माज़ी की कुल्फ़ी
लगता है के
पिघल गयी मगर
नहीं, नहीं नहीं

Curiosidades sobre a música Kulfi de Sonu Nigam

De quem é a composição da música “Kulfi” de Sonu Nigam?
A música “Kulfi” de Sonu Nigam foi composta por SALIM-SULAIMAN SADRUDDIN, SAUMYA JOSHI.

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