Kahan Gaya Bedardi Man Ko Tadapa Ke [1]
कहाँ गया बेदर्दी मन को तड़पाके
कहाँ गया बेदर्दी मन को तड़पाके
दिल का चैन चुरा के मन को तड़पाके
दिल का चैन चुरा के मन को तड़पाके
कहाँ गया बेदर्दी मन को तड़पाके
कहाँ गया बेदर्दी मन को तड़पाके
दिल का चैन चुरा के मन को तड़पाके
दिल का चैन चुरा के
तेरी मिलन के सपने जूते
झूठी तेरी कस्में है
तेरी मिलन के सपने झूठे
झूटी तेरी कस्में है
झूठे प्यार के सब रिश्ते है
झूठी वफ़ा की रस्मे है
झूठी आस बँधा के
कहाँ गया बेदर्दी मन को तड़पाके
दिल का चैन चुरा के मन को तड़पाके
कहाँ गया बेदर्दी
मलते हैं माथे पर अपने हम क़िस्मत की सियाही को
मलते हैं माथे पर अपने हम क़िस्मत की सियाही को
देख रहे है ख़ुद आँखों से अपने घर की तबाही को
मौत से हाथ मिला के
कहाँ गया बेदर्दी मन को तड़पा के
दिल का चैन चुरा के, मन को तड़पा के
कहाँ गया बेदर्दी
बिन आहट के जाने कब वो दिल का शीशा तोड़ गया
बिन आहट के जाने कब वो दिल का शीशा तोड़ गया
ग़म से भिगा हर मौसम वो मेरे लिए ही छोड़ गया
ग़म इशरत का बढ़ा के
कहाँ गया बेदर्दी मन को तड़पा के
दिल का चैन चुरा के, मन को तड़पा के
कहाँ गया बेदर्दी
शहर का शहर है पत्थर जैसा, किस-किस का ऐतबार करूँ
शहर का शहर है पत्थर जैसा, किस-किस का ऐतबार करूँ
बेदर्दों के आगे कैसे बेज का मैं इज़हार करूँ
दुश्मन हैं सब जाँ के
कहाँ गया बेदर्दी मन को तड़पा के
कहाँ गया बेदर्दी मन को तड़पा के
दिल का चैन चुरा के, मन को तड़पा के
कहाँ गया बेदर्दी मन को तड़पा के
दिल का चैन चुरा के