Kunwari Saheli Too

S KCHAND, S SURENDRA

हा हा मैं शादी के चक्कर में फसनेवाली नहीं

कुंवारी सहेली तू क्या जाने
शादी का मज़ा कुछ और हैं
शादी का नशा कुछ और हैं
कुंवारी सहेली तू क्या जाने
शादी का मज़ा कुछ और हैं
अरे शादी का नशा कुछ और हैं

सच सच बोल गोरिये
शादी का क्या मज़ा हैं
शादी में क्या नशा हैं

ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
मेरा चाँद हर रात जलवे दिखाए
मैं घूँघट गिराऊ
वह घूँघट उठाये
इस गिराने और उठाने
का मज़ा कुछ और है
कुंवारी सहेली तू क्या जाने
शादी का मज़ा कुछ और हैं
शादी का नशा कुछ और हैं

सच्ची वह तुझे
बहुत प्यार करता हैं
कभी नहीं सताता

ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
कभी मौज़ में आके
मुझको सताए
करे जोरा जोरी मुझे वह रुलाये
इस सताने और रुलाने
का मज़ा कुछ और हैं
कुंवारी सहेली तू क्या जाने
शादी का मज़ा कुछ और हैं
अरे शादी का नशा कुछ और हैं

ऐ और क्या क्या करता हैं

ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
वह रातों को उठ उठ के पाऊँ दबाये
मैं रूठूँ तोह सिने से अपने लगाये
हाय इस दबाने और लगाने का
मज़ा कुछ और हैं
कुंवारी सहेली तू क्या जाने
शादी का मज़ा कुछ और हैं
अरे शादी का नशा कुछ और हैं

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