Pritam Aan Milo

Gulzar, R D Burman

प्रीतम आन मिलो
प्रीतम आन मिलो
हो दुखिया जीवन कैसे बिताऊँ
प्रीतम आन मिलो

रात अकेले डर लगता है
जंगल जैसा घर लगता है

चलती हैं जब तेज़ हवाएं
लहराता हंटर लगता है
कितने हंटर खाऊँ
प्रीतम आन मिलो
हो दुखिया जीवन कैसे बिताऊँ
प्रीतम आन मिलो

टे टा उ टे टा उ वा उ वा उ

बिरहा में कोई बोल रहा है
बिरहा में कोई बोल रहा है
पीड़ा का रस घोल रहा है
फिर से जान लबों पर आयी
फिर कोई घूँघट खोल रहा है
मुखड़ा कैसे छुपाऊँ
प्रीतम आन मिलो
हो दुखिया जीवन कैसे बिताऊँ
प्रीतम आन मिलो

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