Ek Aadmi

मजबूरी, लाचारी, मुफ़लिसी की ज़िंदगी
चप्पलें घिस गई , दफ़्तर की बन्दगी
ठोकरे मारे जग नौकरी से दिल्लगी
पाओ - बेड़िया बुढ़ापा ये कमज़ोरी
दफ़्तर से फ़ारिग़ होके घर चले जाने दो
कंधो के बोझ तले थोड़ा हलाकान वो
रोटी, कपड़ा, किराना मज़ीद ख़र्च
अंग्रेज़ी पतलून में खस्ताहाल वो
तनख़्वाह, वेतन, कट जाए फिर देखो
क्या किरदार वो कितना असरदार वो
Bachho की पढ़ाई शादीयो के ख़र्चे
ज़रूरते पूरी की बुढ़ापे का बिना सोचे
गुज़री - तुझपे तू दिल मे दबाता
तेरी आप बीती तू ठोकरो में उड़ाता
ढीला बदन तेरा, उभरती हैं तेरी रगे
ज़िम्मेदारियां मुसल्लत बुढ़ापा है सर पे

ख़ुद की भी फ़िकर कर तू
लायक ना लायक सैकड़ो यारियां
जायज़ ना जायज़ सैकड़ो बीमारिया
छोड़ उनके हाल पर ख़ुद की अब फ़िकर कर
ख़ुद की भी फ़िकर कर तू
लायक न लायक सैकड़ो यारियां
जायज़ ना जायज़ सैकड़ो बीमारिया
छोड़ उनके हाल पर ख़ुद की अब फ़िकर कर

ईमानदारी कमा जान तू लुटाता
दिलदारी दिखा ठोकरे तू ही ख़ाता
छोड़ ये नाउम्मीदी छोड़ दे तू मायुसी
दुनिया का क़ानून दुनिया का क़ायदा
जो बिके, पैसों में, उसका, चढ़े बाज़ार
कीमतों में बेच दे सौ हज़ार दस हज़ार
जिस्म बेजान ,जेठ आया, चैत पार,
पेट भर ,रोटी नही, दुनिया में बरक़रार
लाचार, बीमार, बेकार, गुनाहगार।
किराये पे बिके ईमान बन्दा तू असरदार
दामन साफ़ तेरा , हुक्म की तामिल
ऐसे खरे पन की दुनिया मे जगह नही
गुज़री तुझपे जो तेरे बिना जाने कौन
लाचारों की पीड़ा होतीं नज़र-अंदाज़ अक्सर
चेहरे ख़ुद-ग़र्ज़ दिल ठोस पत्थर
सोजा फ़िकरे तू दिलो में दबाकर

ख़ुद की भी फ़िकर कर तू
लायक ना लायक सैकड़ो यारियां
जायज़ ना जायज़ सैकड़ो बीमारिया
छोड़ उनके हाल पर ख़ुद की अब फ़िकर कर
ख़ुद की अब फ़िकर कर तू
लायक ना लायक सैकड़ो यारियां
जायज़ ना जायज़ सैकड़ो बीमारिया
छोड़ उनके हाल पर ख़ुद की अब फ़िकर कर

आमदनी कम तेरी ख़र्च भी कम तेरे
मामूली ज़िन्दगी ईमान में दम तेरे
चेहरा गंभीर , दरख़्वास्त ना -मंज़ूर
तू दिलेर ग़रीबो की दुआयें साथ तेरे
सुलगती धूप में खड़ा तू रह लेगा
वाजिब हक़ के ख़ातिर वक़्त पे लड़ लेगा
ख़ुद्दारी के ऊपर जान निसार कर देगा
कलेजा निकाल के हाथ मे तू धर देगा
ख़ूँ-ख़्वार, तकरार, ज़्यादा दिलदार
ईमान मजबूत ज़्यादा ख़ुद्दार
यलग़ार, तलवार, जन जन की ललकार
मुफ़लिसी में दबी आवाज़ों का फ़नकार
तू सत्य की विजय, इंसाफ़ की फ़तह
देख ज़रा ,इसलिये, दिल तेरा वफ़ादार
इसी तर्ज़-तौर पे ज़िन्दगी तू पार कर
दरख़्त के साये तले दिल शिकन मंज़र

ख़ुद की भी फ़िकर कर तू
लायक ना लायक सैकड़ो यारियां
जायज़ ना जायज़ सैकड़ो बीमारिया
छोड़ उनके हाल पर ख़ुद की अब फ़िकर कर
ख़ुद की अब फ़िकर कर तू
लायक ना लायक सैकड़ो यारियां
जायज़ ना जायज़ सैकड़ो बीमारिया
छोड़ उनके हाल पर ख़ुद की अब फ़िकर कर

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