Ulfat
Raman Negi
चन्द गुज़ारिशों के बोझ तले
गुमशुदा हूँ इस कदर
लगी उलफत की नज़र
देख सकें वो कभी दें इज़ाज़त तो
मिल सके उनसे नज़र
यह फरियाद बे-असर
देखो कभी चेहरा-ए-घम मेरी नज़र से
या कर्दे रिहा हुमें दिल की शिकस्त से
सर-ए-आम हुआ नीलाम
मेरा ख्वाब-ए-लश्कर
लगी उलफत की नज़र
हुए वो रवाँ
दूजे वतन जबसे
वक़्त ले बदले गिन गिन हम से
बेख़बर
किस्मातों की साज़िशों से
वक़्त ले बदले गिन गिन हम से
चन्द गुज़ारिशों के बोझ तले
गुमशुदा हूँ इस कदर
यह फरियाद बे-असर